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गणेश जी की आरती
Ganeshji Ki Aarti
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गणेश जी की आरती
Ganeshji Ki Aarti
Shailaputri Devi - Day 1
शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Mantra of Shailaputri:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
Om Devī Shailaputryai Namah॥
Prarthana or Prayer of Shailaputri
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखराम् ।
वृषारूढाम् शूलधराम् शैलपुत्रीम् यशस्विनीम् ॥
Vande Vānchhitalābhāya Chandrardhakritashekharam।
Vrishārudhām Shuladharām Shailaputrīm Yashasvinīm॥
Brahmacharini Devi - Day 2
Mantra of Brahmacharini:
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम:
Oṃ Devī Brahmacāriṇyai Namaḥ
Prarthana or Prayer:
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु |
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे,
आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।
Dadhana kara Padmabhyam akshamala kamandalu।
Devi prasidathu mayi brahmacharinya-uttama॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
Chandraghanta Devi - Day 3
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Aarti:
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
Kushmanda Devi - Day 4
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्.
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्..
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्.
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्..
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्.
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्..
Aarti
:
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी.
मुझ पर दया करो महारानी..
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली.
शाकम्बरी माँ भोली भाली..
लाखों नाम निराले तेरे.
भक्त कई मतवाले तेरे..
भीमा पर्वत पर है डेरा.
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा..सबकी सुनती हो जगदम्बे.
सुख पहुँचाती हो माँ अम्बे..
तेरे दर्शन का मैं प्यासा.
पूर्ण कर दो मेरी आशा..माँ के मन में ममता भारी.
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी..
तेरे दर पर किया है डेरा.
दूर करो माँ संकट मेरा..
Skandamata Devi - Day 5
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
Oṃ Devī Skandamātāyai Namaḥ
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Simhasanagata Nityam Padmanchita Karadvaya।
Shubhadastu Sada Devi Skandamata Yashasvini॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Ma Skandamata Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah॥
Katyayani Devi - Day 6
चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानवघातिनि॥:
Chandrahasojjvalakara |
Shaardulavara Vaahana ||
Kaatyayani Shubham Daddya |
Devi Daanava Ghaatini ||
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:
Oṃ Devī Kātyāyanyai Namaḥ
Chandrahasojjvalakara Shaardulavaravahana |
Katyayani Shubham Dadyad Devi Danavaghatini ||
Ya Devi Sarvabhuteshu
Ma Katyayani Rupena Samsthita |
Namastasyai Namastasyai Namastasyai
Namo Namah||
Dhyan Mantra:
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
Swarnagya chakra sthitam shashtam Durga Trinetram.
Varabhit Karam shadgpadmdharam katyayansutam Bhajami
Kalaratri Devi - Day 7
Mantra:
ॐ देवी कालरात्र्यै नम:
Oṃ Devī Kālarātryai Namaḥ
मां कालरात्रि मंत्र- Maa Kalratri Mantra:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
Dhyan Mantra:
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
Karalvandana dhoram muktkeshi chaturbhujam.
Kaal Ratrim karalikaam divyam vidyutmala vibhushitam.
Aarti:
कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥
Mahagauri Devi - Day 8
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥
Om Devi Mahagauryai Namah॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
Aarti:
महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे,
उमा रमा ब्रह्माणी, अपनी शरण लीजे॥
महागौरी दया कीजे......
गौर वर्ण अति सोहे, वृषभ की असवारी,
श्वेत वस्त्रों में मैया, लागे छवि प्यारी,
महागौरी दया कीजे......
सृष्टि रूप तुम्ही हो, शिव अंगी माता,
भक्त तुम्हारे अनगिन, नित प्रतिगुण गाता,
महागौरी दया कीजे......
दक्ष के घर जन्मी तुम, ले अवतार सती,
प्रगटी हिमाचल के घर, बन शिवा पार्वती,
महागौरी दया कीजे......
नवदुर्गों में मैया, आठवाँ तेरा स्वरूप,
शिव भी मोहित हो गये, देख के तेरा रूप,
महागौरी दया कीजे......
आठवें नवरात्रे को, जो व्रत तेरा करे,
पाता प्यार तुम्हारा, भव सिन्धु वो तरे,
महागौरी दया कीजे......
वेद पुराण में महिमा, तेरी माँ अपरम्पार,
हम अज्ञानी कैसे, पायें तुम्हारा पार,
महागौरी दया कीजे......
महागौरी महामाया, आरती तेरी गाते,
करुणामयी दया कीजे, निशदिन तुझे ध्याते,
महागौरी दया कीजे......
शिव शक्ति महागौरी, चरण शरण लीजे,
बालक जान के अपना, हमपे दया कीजे,
महागौरी दया कीजे......
महागौरी दया कीजे, जगजननी दया कीजे,
उमा रमा ब्रह्माणी, अपनी शरण लीजे॥
महागौरी दया कीजे......
Siddhidatri Devi - Day 9
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
Aarti
:
जय सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री,
सर्व सुखों की जननी, रिद्धि सिद्धिदात्री॥
ॐ जय सिद्धिदात्री......
अणिमा गरिमा लघिमा, सिद्धि तिहारे हाथ,
तू अविचल महामाई, त्रिलोकी की नाथ,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
शुम्भ निशुम्भ विडारे, जग है प्रसिद्ध गाथा,
सहस्त्र भुजा तनु धरके, चक्र लियो हाथा,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
तेरी दया बिन रिद्धि, सिद्धि ना हो पाती,
सुख समृद्धि देती, तेरी दया दाती,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
दुःख दारिद्र विनाशनी, दोष सभी हरना,
दुर्गुणों को संघारके, पावन माँ करना,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
नवदुर्गों में मैया, नवम तेरा स्थान,
नौवे नवरात्रे को, करें तेरा सब ध्यान,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पति करता,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
अगर कपूर की ज्योति, आरती हम गायें,
छोड़ के तेरा द्वारा, और कहाँ जायें,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
सिद्धिदात्री हे माता, सब दुर्गुण हरना,
अपना जान के मैया, हमपे कृपा करना,
ॐ जय सिद्धिदात्री......
जय सिद्धिदात्री, ॐ जय सिद्धिदात्री,
सर्व सुखों की जननी, रिद्धि सिद्धिदात्री॥
ॐ जय सिद्धिदात्री......